गत एक-डेढ़ दशक से साहित्य की विभिन्न विधाओं, खासतौर पर कविताओं का प्रकाशन पत्र-पत्रिकाओं में निरन्तर होता रहा। लेकिन इस यात्रा में कुछ ऐसा भी रहा जो मुझ अकिंचन रचनाकार के लिए स्मृति की बड़ी पूँजी बना है। जैसे पहली कविता का प्रकाशन -( साहित्य अमृत-दीपावली विशेषांक-2004,संपादक -विद्यानिवास मिश्र जी) ऐसा ही अप्रत्याशित रहा जब हिंदी की प्रतिष्ठित पत्रिका " वागर्थ " के संपादक- विजय बहादुर सिंह जी ने मेरी कविता " समय " को पत्रिका के अग्रिम पृष्ठ पर स्थान दिया। कभी न बिसरने वाले लम्हें तो और भी है फिलहाल कविता -" समय " आपके लिए
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# कविता # " शुक्रवार ( पाक्षिक ) जून-2011 @ जमीन और जमनालाल: तीन कविताएं -------------------////-------------------------ओम नाग...
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