Tuesday 3 October 2017

अब तो बरसाते बलती आग - काला बादल


अब तो बरसाते बलती आग - काला बादल 

यूं तो मनु-जीवन
की साथकता मानवता की सेवा-उान मअिधक है। लेिकन एक अदद िजगी देश सेवा को समिपत कर भावी पीिढय़ोंके िलए रेणा बन जाना बड़ेजीवट का काम ह। जीवन -संघषको अपनी असल ताकत बनाकर गांव-गांव आजादी की अलख जगानेवालेकलम के सेिसपाही लोककिव भैरवलाल कालाबादल तंता के पथ पर एक बार चलना शु तो िफर न के और न थके। रोजी-रोटी के िलए की िजसाजी की ताकत को पहचान लेनेके बाद कालाबादल का शोंऔर िकताबोंकभी नाता नहींटूटा। रोजी-रोटी के िलए िकताबो (ं पोिथयो ) ं की िजसाजी का काम िकया। कालाबादल आजादी की िणम पोथी के ऐसेअनूठे िजसाज थे, िजोनं ेअपनेगीतोंसेजन-जन मराीय चेतना का संचार िकया। उोनं ेजीवनयापन के िलए रामगंजमंडी मिजसाजी व साबुन की दुकान खोली। अपनेगु पंिडत नयनूराम शमाके सहयोग से रामगंजमंडी मही पुकालय की थापना की और जनजागृित मजुट गए। नयाबास मिकया अापन बमुल सातवींजमात तक िशा हािसल करनेमकामयाब रहेकाला बादल नेअपनेजीवन मन केवल िशा के मह को समझा ब नयाबास ूल मपांच वषतक अापन कर भावी पीढ़ी को आखर- उजास भी बांटा। कालाबादल जीवन पयत कई मोच पर एक साथ लड़े-िभड़ेऔर जहां रहेवहां ईमानदारी -साई का परचम फहराया। 1936 मजामंडल की ली सदता भारत माता को दासता के बंधन सेमु के िलए देश-देश के हजारो-ं हजार लोगोंनेतन-मन-धन ोछावर िकया। ऐसेमभला हाड़ौती अंचल कैसेपीछेरहता। इस िमी मऐसेकई सपूत जे, िजोनं ेसूणजीवन देश के िलए समिपत कर िदया। इींमसेएक नाम कालाबादल का हैजो जीवनभर महाा गांधी के आदश के अनुयायी रह। 1936 मखानपुर सेजामल के सिय सद के प माधीनता संाम सेएक बार जुड़ेतो िफर तंता का नूतन सूरज उगनेतक कभी मुड़कर नही देखा। वो चाहे 1942 का 'भारत छोड़ो आंदोलन' हो या िफर िवनोबाजी का भूदान आंदोलन। जामल के ित जागकता को लेकर उद्घोष िकया- थाा थांका जुा सूं, जामल खोलगा। छाना रहबा को यो ऑडर तोड़ा, सुख सूं बोलगा।। गीतोंसेजगाई आजादी की अलख हाड़ौती अंचल के पहलेअनूठेलोककिव कालाबादल नेअपनेगीतोंको बड़ी ताकत बनाया और गांव-गांव जाकर गीतोंके माम सेलोगोंके मन मन केवल आजादी की चाह पैदा की ब िकसानो,ंवंिचतोंऔर शोिषतोंका दु:ख-ददको खर िदया। उनमहक के िलए लडऩेकी िजद पैदा की। कालाबादल िकसानोंव सामािजक सेिपछड़ोंके उान के िलए सदैव ही यशील रहे। उनके िस गीत 'काला बादल रे! अब तो बरसा दे बळती आग' की कुछ पंयां इस कार ह... काला बादल रेअब तो बरसा देबळती आग बादल राजा कान िबना रे, सुणेन ाकी बात। थारा मन की तूकरे, जद चालेवांका हाथ।। कसाई लोग खीचता ं रहे, मरी गाय की खाल। खीचं ेहाकम हारा, येकरसाणा की खाल।। माल खावेचोरड़ा रे, खावेकरज खलाण। कचेिडय़ां महाकम खावे, भूखा कं त का ाण।। फटी धोवती, फटी अंगरखी, फूा ाका भाग। काला बादल रेअब तो बरसा देबळती आग।। 'आजादी की लहर' पर लगा ितबंध कालाबादल संरणोंमतीन गीत संह के काशन का िज करतेह- 'गांवोंकी पुकार', 'आजादी की लहर' और 'सामािजक सुधार'। इनमआजादी की लहर पुक को अंेज सरकार के ारा ितबंिधत भी िकया गया, 10/4/2017 Bhairav Lal Kala badal Awakening freedom With songs of consciousness आजादी की िणम पोथी के अनूठेिजसाज: काला बादल Patrika Hindi https://www.patrika.com/kota-news/bhairav-lal-kala-badal-awakening-freedom-with-songs-of-consciousness-1-1777277/ 2/2 लेिकन आजादी का यह परवाना कब हार माननेवाला था। अपनेगीतोंमशोंका बाद भरकर अंेज शासन और जागीरदारोंकी नीदं उड़ातेरहे। नेह नेिदया 'कालाबादल' नाम अपनेसंरणोंमिज करतेए काला बादल िलखतेहिक सन 1946 मउदयपुर मदेशी रा लोक परषद सेलन का आयोजन िकया गया। िजसमपंिडत जवाहर लाल नेह नेभी िशरकत की थी। भैरव लाल की यंसेवक के प मूटी नेह को जहां ठहराया गया था, वहां लगी। एक िदन पहलेरात 2 बजेनेह िवाम के िलए आवास पंचे। इस बीच पहरेपर तैनात भैरवलाल को नीदं आनेलगी तो 'कालाबादल रे, अब तो बरसा देबळती आगÓ गीत गाना शु कर िदया। नेह नेसुना तो उोनं ेयंसेवकोंसेभैरव लाल को अपने मबुलाया और पूरा गीत सुना। दूसरेिदन सेलन मनेह नेमंच सेकालाबादल गीत वालेयंसेवक से अपना गीत सुनानेके िलए आवाज लगवायी। गीत को लोगोंनेखूब पसंद िकया और उसी िदन सेनेह ारा िदए गए उपनाम सेभैरवलाल, कालाबादल हो गए। िवधायक और मं◌ी भी रहे कालाबादल राजथान की थम िवधानसभा सन् 1952 मदो वष, 1957,1967 और सन 1977 मिवधानसभा के सद रहे। सन् 1978 से 1980 तक जनता पाट सरकार मआयुवद रा मंी रहे। 1967 से 1976 तक राजनीित सेसंास लेकर समाज सेवा के काय सेजुड़ गए और 'मीणा-संसार' पिका का सादन भी िकया। संरण और का संह का िवमोचन कालाबादल के संरण व का संह ''काला बादल रे! अब तो बरसा देबलती आग' का सादन कोटा के युवा किव एवं लेखक रामनारायण मीना 'हलधर' और डॉ. ओम नागर नेिकया है। ीमीना समाज िवकास सिमित की ओर सेकािशत पुक मउनके जीवन -संरण, सघष, तंता आोलन मउनकी सिय भूिमका के साथ ही उनके हाड़ौती के लोकिय गीत-किवताओंको शािमल िकया गया है। पुक का िवमोचन सोमवार को नगर िवकास ऑिडटोरयम महोगा।

1 comment:

  1. हाड़ौती के युवाओं के प्रेरणा स्रोत स्वतंत्रता सेनानी कालाबादल जी को इस पुस्तक के माध्यम से जानने का सोभाग्य प्राप्त हुआ | हम जेसे युवाओं के लिए कालाबादल जी कि जीवनी बहुत ही प्रेरणा दायी है |

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